अर्थ एवं संख्या.
उत्तर प्रदेश में आंकड़ों के व्यवस्थित रूप से एकत्रीकरण एवं संकलन की दृष्टि से इस प्रभाग की स्थापना वर्ष 1931 में “ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स एवं इकोनामिक रिसर्च” नाम से की गयी थी। बीच में कई बार के पुर्नगठन के पश्चात् इसे एक सम्पूर्ण विभाग का स्वरूप प्रदान किया गया। वर्ष 1961 में इस विभाग को अर्थ एवं संख्या निदेशालय के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। अन्ततः वर्ष 1971 में राज्य नियोजन संस्थान की स्थापना के साथ यह विभाग उसके अधीन अर्थ एवं संख्या प्रभाग के रूप में जाना जाने लगा। मण्डल स्तर पर सांख्यिकीय कार्यों के सम्पादन हेतु वर्ष 1979 में उप निदेशक (अर्थ एवं संख्या) कार्यालय की स्थापना की गयी थी। इसी प्रकार जनपद स्तर पर सांख्यिकीय कार्यों के सम्पादन हेतु वर्ष 1958 में अर्थ एवं संख्याधिकारी कार्यालय की स्थापना की गयी। विकास कार्यों की प्रगति के अनुश्रवण, सत्यापन एवं मूल्यॉंकन हेतु विकास खण्ड स्तर पर एक सहायक विकास अधिकारी (सां0)/सहायक सांख्यिकीय अधिकारी का पद वर्ष 1959 में सृजित किया गया।
प्रभाग की स्थापना का मुख्य उद्देश्य
- प्रदेश की अर्थ व्यवस्था की नियमित समीक्षा तथा उसके निष्कर्षों के अनुसार सरकार को परामर्श देना।
- आर्थिक नियोजन हेतु विभिन्न सामाजार्थिक विषयों पर आंकड़े उपलब्ध कराना।
- केन्द्र एवं राज्य सरकार के विभिन्न विभागों को आंकड़ों की आपूर्ति।
- विभिन्न विभागों के सांख्यिकीय कार्यों में सामन्जस्य स्थापित करना।
- जिला योजनाओं की संरचना एवं अनुश्रवण।
- विकास कार्यों की प्रगति का संकलन, सत्यापन एवं अनुश्रवण।
उपर्युक्त उद्देश्यों की पूर्ति हेतु मण्डल स्तर पर सम्पादित किये जाने वाले कार्य निम्नवत है-
- मण्डल, जनपद एवं विकास खण्ड स्तरीय सांख्यिकीय पत्रिकाओं एवं सामाजार्थिक समीक्षाओं का प्रकाशन।
- राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण।
- औद्योगिक उत्पादन सूचकांक।
- विभिन्न प्रकार के भावों एवं मजदूरी की दरों का संग्रहण।
- स्थानीय निकायों का आय-व्यय का आर्थिक एवं कार्य सम्बन्धी वर्गीकरण।
- आवास सांख्यिकीय सम्बन्धी आंकड़ों का संग्रहण।
संपर्क सूत्र
कार्यालय: जिला आर्थिक एवं सांख्यिकी कार्यालय (डीईएसटीओ) गोंडा।
ईमेल आईडी-gonesd@nic.in